[views] “हिंदुस्तान टाइम्स में “बीइंग मुस्लिम नाउ” सीरीज में छपा अभिनेता नसीरुद्दीन शाह का लेख एक संपन्न मुसलमान की शेख़ी और भड़ास से ज़्यादा
Religion
#BeingMuslimNow: Why Naseeruddin Shah is Wrong on Several Counts | Mahtab Alam
Veteran actor Naseeruddin Shah’s much advertised article was published on Friday in Hindustan Times as its concluding part of the series titled, #BeingMuslimNow. I
Undesirability of mixing Religion and Politics | Faizan Mustafa
The Supreme Court of India recently prohibited politicians from using peoples’ religion or caste to garner votes. The verdict has been described as one
Revisiting Prophet Muhammad’s Quest for Empowered Women | Naved Ashrafi
James Garrison in October last of this year wrote Muhammad was A Feminist, a bold piece on HuffPost. Comparing various founders of world religions,
तीन तलाक़ 2002 से ही अवैध, फिर 2016 में इसे कौन लाया? | उवेस सुल्तान खान
उवेस सुल्तान खान | November 26, 2016 कई महीने से माननीय सुप्रीम कोर्ट में चल रहे ‘तीन तलाक़’ केस में अभी तक कोई नतीजा
Prophet Muhammad’s (PBUH) Mercy Towards Disbelievers and Enemies
Almighty Allah made the religion of Islam, a religion of mercy, ease, moderation, clemency and temperance. The Holy Prophet(peace be upon him) was sent
इस्लाम में एकेश्वरवाद का बहुमूल्य संदेश और ज़कात | विनोबा भावे
इस्लाम का एकेश्वर (तौहीद) का संदेश भी बहुमूल्य है। सूफ़ी संत और फ़कीर महाराष्ट्र में भी गाँव – गाँव घूमते हुए, “ईश्वर एक है
इस्लाम में ब्याजखोरी का तीव्र निषेध -विनोबा भावे
इस्लाम ने ब्याजखोरी का भी तीव्र निषध किया है । सिर्फ़ चोरी न करना इतना ही नहीं, आपकी आजीविका भी शुद्ध होनी चाहिए ।
इस्लाम का पैगाम: धर्म की बाबत जबरदस्ती कत्तई नहीं की जा सकती | विनोबा भावे
सारांश यह है कि इस्लाम का यह सच्चा स्वरूप है । इसे ठीक – ठीक पहचानना चाहिए और उसका सार ग्रहण कर लेना चाहिए
इस्लाम की असल पहचान : मानव-मानव का नाता बराबरी का है | विनोबा भावे
यह निर्विवाद हकीकत है कि आरंभिक ज़माने में इस्लाम का प्रचार त्याग और कसौटी पर ही हुआ । प्रारंभ में इस्लाम का प्रचार तलवार