“सय्यद की लौह-ए-तुर्बत” और अल्लामा इक़बाल के शब्दों में सर सय्यद का पैग़ाम

मुहम्मद नवेद अशरफ़ी  ऐ के तेरा मुर्ग़-ए-जाँ तार-ए-नफ़स में है असीर ऐ के तेरी रूह का ताइर क़फ़स में है असीर इस चमन के

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नानक (अल्लामा इक़बाल) | नवेद अशरफ़ी

क़ौम ने पैग़ाम-ए-गौतम की ज़रा परवा न की क़द्र पहचानी न अपने गौहर-ए-यकदाना की। आह! बदक़िस्मत रहे आवाज़-ए-हक़ से बे-ख़बर ग़ाफ़िल अपने फल की

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