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इमाम साहब के नाम खुला ख़त | फर्रह शकेब

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सेवा में,

आदरणीय अनवारुल हक़ साहब
(इमाम जामा मस्जिद)

महोदय,

आज ही समाचार मिला है कि आप आक़ा-ए-दो जहाँ मदनी पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद (सल.) की शान-ए-मुबारक में गुस्ताख़ी करने वाले गुंडे का सर काट कर लाने वाले को 51 लाख रूपये से पुरुस्कृत करेंगे ! यदि आपने ऐसा कहा है तो मैं जानने का इच्छुक हूँ कि यह 51 लाख रुपये की रक़म आपके पास किस स्रोत से आएगी ? क्या इमामत के अलावा आपका कोई निजी व्यापार, या व्यक्तिगत संपत्ति है जहां से आप इक्यावन लाख रूपये अदा करेंगे? या मस्जिद-मदरसे के नाम पर जमा किया हुआ अवामी चन्दा है जिससे आप इक्यावन लाख रूपये का भुगतान करेंगे ! या फिर ज़कात, ख़ैरात की रक़म है ??

दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि आक़ा (सल.) की अज़मत पामाल करने की कोशिश सदियों से हो रही है. लेकिन आक़ा मुस्तफ़ा (सल.) की अज़मत कोई पामाल कर जाए ऐसा कोई पैदा नहीं हुआ. हाँ कुछ लोग कुछ प्रसिद्धि हासिल कर सकते हैं हमारी प्रतिक्रिया से!

मोहतरम, यूँ तो आप हमसे अधिक जानकार हैं लेकिन फिर भी एक निवेदन है कि आक़ा मुस्तफ़ा (सल.) की अज़मत को उनकी शिक्षा और आदर्शों पर अमल करने से समझा जा सकता है. दकन में मुल्क का एक हिस्सा बड़ी परेशानी से जूझ रहा है, चेन्नई में प्राकृतिक आपदा से आम जनता दो-चार है. इसके अलावा देशभर में सर्दियों के मौसम में ऐसे हज़ारों गरीब ज़रूरतमन्द परिवार गर्म कपड़े, कम्बल के अभाव में सर्दी की मार झेलने को मजबूर होंगे. आपके इक्यावन लाख रूपये से इस दिशा में काफी सार्थक पहल करते हुए मानवता की सेवा की जा सकती है. आप या तो चेन्नई के बाढ़ पीड़ितों के लिए इक्यावन लाख रूपये सहायतार्थ रवाना कर दें या उत्तर भारत में गर्म कपड़े कमबल इत्यादि वितरित करवा दें तो बहतर होगा. इंसानियत की ख़िदमत सबसे बड़ी इबादत है और पैगम्बर मोहम्मद (सल.) की वास्तविक शिक्षा भी !आक़ा (सल.) से अक़ीदत और मुहब्बत का इससे बड़ा नमूना और कुछ हो ही नहीं सकता।

आपका
फर्रह शकेब (पत्रकार)

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