नशे से खोखला होता भारत का युवा | तल्हा मन्नान ख़ान

तल्हा मन्नान ख़ान | 6 जनवरी 2017

कहा जाता है कि नशा तमाम बुराइयों की जड़ है। यह समाज के लिए एक अभिशाप है। विश्व के लगभग सभी धर्म इस बात पर एक ही मत रखते हैं। और वर्तमान के सामाजिक परिदृश्य को देखते हुए यह बात कही जा सकती है कि छोटे से छोटे और बड़े से बड़े अपराधों के पीछे कहीं न कहीं यह विकार उत्तरदायी होता है।

भारत की बात करें तो वर्तमान समय में भारत युवाओं के रूप में एक बड़ी जनशक्ति रखता है और इसी युवा शक्ति के बल पर वह एक बार फिर विश्व गुरु बनने का सपना देखता है। लेकिन पिछले कुछ सर्वेक्षणों पर नज़र डालें तो घोर निराशा हाथ लगती है। आँकड़े कहते हैं कि भारत की युवा पीढ़ी का एक बड़ा तबका किसी न किसी प्रकार से नशे का शिकार है और इस संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। यह आँकड़े हमारे देश के भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं हैं कि आज हमारे देश के युवाओं को नशा दीमक की तरह क्षतिग्रस्त कर रहा है।

पिछले कुछ वर्षों में इस समस्या का प्रचलन बच्चों के बीच भी बढ़ता पाया गया जिस पर चिंता व्यक्त करते हुए बुधवार, दिनाँक 14-12-2016 को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस टी. एस. ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने बच्चों के लिए काम करने वाली गैर सरकारी संस्था ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ की याचिका पर फैसला सुनाते हुए केंद्र सरकार को चार महीने के भीतर एक राष्ट्रीय योजना तैयार करने का निर्देश दिया है। यह संस्था नोबेल पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी की है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार नशीले पदार्थों के दुष्प्रभाव के प्रति जागरूकता लाने के लिए इसे स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने पर विचार करे।

पंजाब को ड्रग्स का केंद्र कहा जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यहाँ सीमा पार इलाकों से ड्रग्स की भारी मात्रा में तस्करी होती है और कहीं न कहीं पंजाब के पठानकोट में एयरबेस पर हमला भी ड्रग्स तस्करी से प्रभावित था। वर्ष 2015 में हुए एक सर्वेक्षण में यह सामने आया था कि पंजाब के हर दस में से औसतन चार आदमी नशे से ग्रस्त हैं।  इस वर्ष पंजाब में विधानसभा चुनाव भी होने हैं और वर्तमान में सभी राजनीतिक दल नशे की समस्या को हल करने के लिए हामी भर रहे हैं लेकिन हकीकत यह है कि सभी दलों ने अब तक इस मुद्दे पर सिर्फ राजनीतिक रोटियाँ सेंकी हैं। अगर वाकई इस समस्या पर ध्यान देकर इसे हल करने की कोशिशें की जातीं तो आज स्थिति कुछ और ही होती।

हमारा दुर्भाग्य है कि हमारी सरकारें सिर्फ नशे के सम्बन्ध में भाषण देना जानती हैं। बिहार में नीतीश कुमार जी ने पूर्णतः शराब प्रतिबंधित कर, एक बड़ा कदम उठाया था लेकिन उसके बाद अवैध रूप से शराब की बिक्री पर उनकी कानून व्यवस्था काफी कमजोर नज़र आई। आज देश में भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए प्रधानमंत्री जी ने ‘नोटबंदी’ का फैसला लिया है। और बेहतर होगा कि वे एक अच्छी कानून व्यवस्था के साथ युवाओं के हित में ‘नशेबंदी’ का भी फैसला लें।

Awaam India

Awaam India

Awaam India is online platform founded by researchers and senior students of Aligarh Muslim University, Aligarh. Awaam stands for dissemination and promotion of progressive and constructive ideas in the society.