[वीडियो] कलाम-ए-ख़ुसरो: आमादा बा क़त्ल-ए-मन

हज़रत अमीर ख़ुसरो का मशहूर फ़ारसी कलाम जो उन्होंने अपने महबूबे हक़ीक़ी की शान में लिखा है. आवाज़ और संगीत: मौलवी हैदर हसन क़व्वाल

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ये मातम-ए-वक़्त की घड़ी है | फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

ठहर गई आसमाँ की नदिया वो जा लगी है उफ़क़ किनारे उदास रंगों की चाँद नय्या उतर गए साहिल-ए-ज़मीं पर सभी खवय्या तमाम तारे

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[कविता] [वीडियो] समर शेष है…. (रामधारी सिंह दिनकर)

ढीली करो धनुष की डोरी, तरकस का कस खोलो किसने कहा, युद्ध की बेला गई, शान्ति से बोलो? किसने कहा, और मत बेधो हृदय

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सुरसुरी ये चाय है सुड़प सुड़प के पी | स्वांग म्यूज़िक बैंड

वर्तमान समय में देश नाज़ुक दौर से गुज़र रहा है और यह सिलसिला कई वर्षों से चल रहा. देश को इस मुक़ाम पर लाकर

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